G7 Summit 2025 (शिखर सम्मेलन ) 2025: कनाडा में वैश्विक संकटों पर चर्चा
नई दिल्ली, 17 जून 2025 – G7 (Group of Seven) देशों का 51वां शिखर सम्मेलन 16-17 जून 2025 को कनाडा के अलबर्टा प्रांत के कानानास्किस (Kananaskis, Alberta, Canada) में आयोजित हुआ। यह सम्मेलन G7 की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था, लेकिन इजरायल-ईरान संघर्ष और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के विवादास्पद रुख के कारण यह बैठक काफी हद तक प्रभावित रही। G7 Summit 2025 में हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में शामिल होने का अवसर मिला, जिससे भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को मान्यता मिली।
G7 समूह: एक संक्षिप्त परिचय
G7 दुनिया की सात सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें शामिल हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
- कनाडा (Canada)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
- जर्मनी (Germany)
- फ्रांस (France)
- इटली (Italy)
- जापान (Japan)
इसके अलावा, यूरोपीय संघ (EU) भी इसकी बैठकों में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होता है। G7 देश दुनिया की 40% GDP और 10% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे यह समूह वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक नीतियों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
G7 Summit 2025: शिखर सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे
1. इजरायल-ईरान संघर्ष (Israel-Iran Conflict)
इस बैठक का सबसे बड़ा मुद्दा इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई (Ayatollah Khamenei) को मारने की योजना को रोक दिया, जिससे संघर्ष और बढ़ सकता था।
- G7 नेताओं ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने पर सहमति जताई।
- ब्रिटेन (UK) ने मध्य पूर्व में अपने सैन्य बलों को मजबूत करने की घोषणा की।
2. यूक्रेन (Ukraine) को समर्थन
- G7 ने यूक्रेन को 50 अरब डॉलर (50 billion USD) की अतिरिक्त सहायता देने का ऐलान किया।
- यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।
3. चीन (China) के प्रभाव पर चिंता
- G7 नेताओं ने चीन की ओवरप्रोडक्शन नीतियों (Overproduction Policies) और ताइवान (Taiwan) के प्रति आक्रामक रुख पर चिंता जताई।
- “डी-रिस्किंग (De-risking)” रणनीति पर जोर दिया गया, जिसमें चीन पर निर्भरता कम करने की बात कही गई।
4. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और ऊर्जा सुरक्षा
- 2035 तक कोयला बिजली घरों को बंद करने का लक्ष्य रखा गया।
- अफ्रीका (Africa) के लिए 10 अरब डॉलर (10 billion USD) की हरित ऊर्जा योजना की घोषणा की गई।
भारत (India) की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को इस शिखर सम्मेलन में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने निम्नलिखित मुद्दों पर जोर दिया:
- जलवायु न्याय (Climate Justice): विकासशील देशों के लिए तकनीकी सहायता और वित्त पोषण की मांग की।
- आतंकवाद (Terrorism): साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism) के खिलाफ G7 देशों से सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया।
- ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security): भारत ने अपनी लीड-आईटी (Lead-IT) पहल को प्रस्तुत किया, जिसे G7 का समर्थन मिला।
भारत-कनाडा संबंध (India-Canada Relations)
- यह प्रधानमंत्री मोदी का 10 वर्ष बाद कनाडा का पहला दौरा था।
- दोनों देशों ने आतंकवाद और व्यापार पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
विवाद और आलोचनाएं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विवादास्पद रुख:
- ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की धमकी दी, जिससे कनाडा में नाराजगी फैली।
- उन्होंने सम्मेलन से जल्दी निकलकर इजरायल-ईरान संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया5।
G7 की एकजुटता पर सवाल:
- इस बार कोई संयुक्त घोषणापत्र (Joint Communique) जारी नहीं किया गया, जिससे G7 की एकता पर सवाल उठे।
- वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों का प्रतिनिधित्व न होने पर भी आलोचना हुई6।
जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई का अभाव:
- G7 देशों ने जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए कोई ठोस योजना पेश नहीं की।
निष्कर्ष: क्या G7 अभी भी प्रासंगिक है?
G7 का यह शिखर सम्मेलन दिखाता है कि पश्चिमी देश वैश्विक नेतृत्व (Global Leadership) बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) और G20 (Group of Twenty) के उभार से उनकी चुनौतियां बढ़ी हैं। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह G7 के साथ सहयोग करते हुए भी स्वतंत्र विदेश नीति (Independent Foreign Policy) बनाए रखे।