नई दिल्ली: विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया ब्लॉक’ को एक बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने औपचारिक रूप से इस गठबंधन से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। AAP के इस निर्णय के पीछे गहन राजनीतिक रणनीति मानी जा रही है, जिसमें पंजाब में कांग्रेस के साथ उसकी गहरी प्रतिद्वंद्विता और आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी स्थिति मजबूत करने की महत्वाकांक्षा प्रमुख कारण हैं।
पंजाब की मजबूरी: कांग्रेस से सीधी टक्कर
AAP के इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलने की सबसे बड़ी वजह पंजाब की राजनीति बताई जा रही है। पंजाब में AAP और कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए, AAP के लिए पंजाब में अपनी एकमात्र सत्ता बचाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 में, AAP और कांग्रेस दोनों ही इंडिया ब्लॉक का हिस्सा थे, लेकिन पंजाब में वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इस “दोस्ती-दुश्मनी” की रणनीति ने AAP को नुकसान पहुँचाया, क्योंकि पार्टी के भीतर यह राय बन गई कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ गठबंधन उनके लिए चुनावी रूप से फायदे का सौदा नहीं था। AAP के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस से दूरी बनाए रखना ही उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
गुजरात की ज़रूरत: कांग्रेस का विकल्प बनने की रणनीति
पंजाब के अलावा, गुजरात भी AAP के इस फैसले के पीछे एक बड़ा कारण है। 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में AAP अकेले मैदान में उतरी थी और 13.1% वोट शेयर के साथ पांच सीटें जीतने में सफल रही थी। इस चुनाव में AAP ने सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी, जिससे कांग्रेस का वोट शेयर काफी कम हो गया।
हाल ही में विसावदर उपचुनाव में मिली जीत के बाद, AAP गुजरात में अपनी जड़ों को और मजबूत करने और खुद को कांग्रेस के एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्थापित करने की उम्मीद कर रही है। गुजरात में कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए, AAP को भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर भी समान रूप से हमलावर रहना होगा। इंडिया ब्लॉक में रहते हुए कांग्रेस पर सीधा हमला करना AAP के लिए राजनीतिक रूप से मुश्किल होता। इसलिए, इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलना AAP को गुजरात में अपनी “एकला चलो” रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करने की आजादी देता है। आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव 2025 में AAP की रणनीति कांग्रेस से दूरी बनाकर अपनी पहचान मजबूत करने पर होगी।
एकला चलो’ की रणनीति और इसके निहितार्थ
कुल मिलाकर, AAP का इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलने का ऐलान उसकी “एकला चलो” (अकेले चलो) की रणनीति का हिस्सा है। इसका स्पष्ट उद्देश्य पंजाब में अपनी मौजूदा सत्ता को बचाना और गुजरात जैसे राज्यों में अपनी उपस्थिति को और अधिक मजबूती से स्थापित करना है।
इस कदम के इंडिया ब्लॉक पर भी बड़े निहितार्थ होंगे। AAP के बाहर निकलने से गठबंधन की राष्ट्रीय स्तर पर एकता और शक्ति पर सवाल उठेंगे, खासकर ऐसे समय में जब विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चे के रूप में खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि AAP का यह कदम राष्ट्रीय राजनीति में क्या रंग लाता है और आगामी चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
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