भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, माननीय जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और अपने चिकित्सकों की सलाह का हवाला देते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 21 जुलाई, 2025 को द टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा रिपोर्ट की गई इस खबर ने देश को चौंका दिया है।
Jagdeep Dhankhar: एक संक्षिप्त राजनीतिक यात्रा
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) का राजनीतिक सफर काफी प्रभावशाली रहा है। एक कुशल वकील, अनुभवी सांसद और राज्यपाल के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद, वे देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हुए थे। राजस्थान के एक किसान परिवार से आने वाले धनखड़ ने 1989 में लोकसभा सांसद के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। Jagdeep Dhankhar राजस्थान विधानसभा के सदस्य भी रहे और एक सफल वकील के रूप में जाने जाते थे।
अगस्त 2022 में, Jagdeep Dhankhar देश के 14वें उपराष्ट्रपति चुने गए। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राज्य सभा के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ वे संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों के पालन पर ज़ोर देने के लिए जाने गए।
उपराष्ट्रपति पद की भूमिका और इस्तीफे का महत्व
भारत में उपराष्ट्रपति का पद अत्यंत गरिमामय और महत्वपूर्ण होता है। वे राष्ट्रपति के बाद दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर होते हैं। उनका प्राथमिक कर्तव्य राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में सदन की कार्यवाही का संचालन करना है। इसके अतिरिक्त, वे राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, और यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो नए राष्ट्रपति के चुने जाने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) द्वारा अपने पद से इस्तीफा देना भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ घटना है, क्योंकि इतिहास में ऐसे बहुत कम अवसर आए हैं जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया हो।

स्वास्थ्य कारण और राजनीतिक निहितार्थ
धनखड़ के इस्तीफे का मुख्य कारण “स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ और चिकित्सकों की सलाह” बताई गई है। सार्वजनिक जीवन में, विशेषकर उच्च संवैधानिक पदों पर, अत्यधिक कार्यभार होता है, और यदि स्वास्थ्य साथ न दे, तो ऐसे पद पर बने रहना मुश्किल हो सकता है। यह दर्शाता है कि धनखड़ ने अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
इस इस्तीफे के बाद, उपराष्ट्रपति का पद अब रिक्त हो गया है। भारतीय संविधान के अनुसार, इस रिक्ति को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराना होता है। यह चुनाव भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित किया जाएगा।
इस घटनाक्रम के भारतीय राजनीति पर कई प्रभाव हो सकते हैं। राज्य सभा का संचालन नए सभापति के चुनाव तक उपसभापति द्वारा किया जाएगा। नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया राजनीतिक दलों के बीच शक्ति संतुलन और रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है, जिससे एक और राजनीतिक मुकाबला देखने को मिल सकता है।
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा, स्वास्थ्य कारणों से लिया गया एक व्यक्तिगत निर्णय होते हुए भी, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। देश अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की ओर देखेगा। धनखड़ के इस निर्णय का सम्मान करते हुए, पूरा देश उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है।
—-समाप्त—-
कभी-कभी, जब कोई नेता अपनी पार्टी की विचारधारा से हटकर, सिर्फ और सिर्फ अपने देश के हित की बात करता है, तो उसे सराहना मिलनी चाहिए। लेकिन, क्या यह हमेशा होता है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor), जो अपनी वाक्पटुता और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, आजकल एक अजीब स्थिति का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक मंचों से बार-बार ‘राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में’ का नारा बुलंद किया है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। लेकिन, इसके बदले उन्हें क्या मिल रहा है? अपनी ही पार्टी के कुछ सदस्यों से तिरस्कार और अनदेखी के आरोप। क्या यह सच में देशप्रेम की कीमत है जो शशि थरूर (Shashi Tharoor) चुका रहे हैं?
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