Gita Gopinath: A famous economist, गीता गोपीनाथ ने छोड़ा IMF का पद, अगस्त में हार्वर्ड विश्वविद्यालय लौटेंगी प्रोफेसर के रूप में

Gita Gopinath
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली उप प्रबंध निदेशक (FDMD) और भारतीय मूल की प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) अगस्त 2025 के अंत में अपना पद छोड़ देंगी। वह अकादमिक क्षेत्र में वापस लौट रही हैं और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में फिर से शामिल होंगी। IMF ने 21 जुलाई, 2025 को इस खबर की पुष्टि की।

Gita Gopinath  सितंबर 1, 2025 से हार्वर्ड में ग्रेगरी और एनिया कॉफ़ी प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स के रूप में अपना नया पद संभालेंगी। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में अपनी इस वापसी की पुष्टि करते हुए लिखा, “IMF में लगभग 7 अद्भुत वर्षों के बाद, मैंने अपनी अकादमिक जड़ों में लौटने का फैसला किया है।” उन्होंने IMF में अपने समय को “एक अभूतपूर्व चुनौती भरे दौर में IMF के सदस्यों की सेवा करने का जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर” बताया।

IMF में  Gita Gopinath का शानदार कार्यकाल: 


गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) 2019 में IMF में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में शामिल होने वाली पहली महिला थीं। उनके नेतृत्व में, IMF के अनुसंधान विभाग ने ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ जैसी प्रमुख रिपोर्टें जारी कीं, जिन्होंने वैश्विक आर्थिक नीतिगत निर्णयों को मार्गदर्शन दिया। जनवरी 2022 में उन्हें FDMD के पद पर पदोन्नत किया गया, जो IMF में दूसरा सबसे बड़ा पद है।

 

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IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गोपीनाथ (Gita Gopinath) की प्रशंसा करते हुए उन्हें “एक उत्कृष्ट सहयोगी, एक असाधारण बौद्धिक नेता और एक शानदार प्रबंधक” बताया। जॉर्जीवा ने कहा कि गोपीनाथ ने महामारी, युद्धों और वैश्विक व्यापार प्रणाली में बड़े बदलावों सहित एक चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान IMF के विश्लेषणात्मक और नीतिगत कार्यों का स्पष्टता के साथ नेतृत्व किया। उन्होंने अर्जेंटीना और यूक्रेन जैसे देशों के लिए बड़े IMF कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आगे क्या? IMF ने घोषणा की है कि गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) के उत्तराधिकारी का नाम जल्द ही क्रिस्टालिना जॉर्जीवा द्वारा घोषित किया जाएगा। परंपरागत रूप से, इस पद के लिए उम्मीदवार की सिफारिश अमेरिकी ट्रेजरी द्वारा की जाती है, जो IMF में सबसे बड़ा शेयरधारक है।

गोपीनाथ की हार्वर्ड वापसी से अकादमिक दुनिया को लाभ होगा, जहाँ वह अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकॉनॉमिक्स में अनुसंधान सीमाओं को आगे बढ़ाने और अर्थशास्त्रियों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

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कभी-कभी, जब कोई नेता अपनी पार्टी की विचारधारा से हटकर, सिर्फ और सिर्फ अपने देश के हित की बात करता है, तो उसे सराहना मिलनी चाहिए। लेकिन, क्या यह हमेशा होता है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor), जो अपनी वाक्पटुता और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, आजकल एक अजीब स्थिति का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक मंचों से बार-बार ‘राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में’ का नारा बुलंद किया है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। लेकिन, इसके बदले उन्हें क्या मिल रहा है? अपनी ही पार्टी के कुछ सदस्यों से तिरस्कार और अनदेखी के आरोप। क्या यह सच में देशप्रेम की कीमत है जो शशि थरूर (Shashi Tharoor) चुका रहे हैं?

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