आज, 22 जुलाई 2025 को डरहम के रिवरसाइड ग्राउंड में खेले गए इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे और निर्णायक वनडे मैच में, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) ने इतिहास रच दिया। उनकी तूफानी बल्लेबाजी ने क्रिकेट प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जब उन्होंने मात्र 84 गेंदों पर धमाकेदार 102 रन बनाए। जिसमे शानदार 14 चौके शामिल थे यह सिर्फ एक शतक नहीं, बल्कि एक ऐसी पारी थी जिसने मैच का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया और सीरीज जीतने की उम्मीदों को पंख लगा दिए।
मैच का महत्व और हरमनप्रीत (Harmanpreet Kaur) की ‘कप्तानी पारी’
यह मुकाबला सीरीज का निर्णायक मैच था, जहाँ दोनों टीमें जीत के लिए बेताब थीं। ऐसे हाई-प्रेशर गेम में, जब टीम को एक बड़ी पारी की सख्त ज़रूरत थी, तब हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) ने कप्तान के रूप में मोर्चा संभाला। उनकी यह पारी संयम और आक्रामकता का बेहतरीन मिश्रण थी, जिसने उन्हें इंग्लैंड के गेंदबाजों पर पूरी तरह हावी होने का मौका दिया। उन्होंने अपनी पारी में कई शानदार चौके और गगनचुंबी छक्के जड़े, जिससे रन रेट तेजी से बढ़ा।
रिकॉर्ड्स और मील के पत्थर
यह हरमनप्रीत कौर के शानदार वनडे करियर का सातवां शतक है, जो उन्हें महिला क्रिकेट में सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक के रूप में स्थापित करता है। 84 गेंदों पर 102 रन बनाकर, उन्होंने अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी क्षमता का प्रदर्शन किया, जिससे भारतीय टीम 318 का विशाल स्कोर खड़ा करने में सफल रही। उनके इस शानदार शतक ने न केवल व्यक्तिगत रिकॉर्ड बनाए, बल्कि टीम को एक प्रतिस्पर्धी कुल तक पहुंचाने में भी मदद की, जिससे इंग्लैंड के लिए लक्ष्य का पीछा करना एक daunting चुनौती बन गया।

मैच पर असर और टीम का आत्मविश्वास
हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) की यह ‘कप्तानी पारी’ सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं थी, बल्कि इसने भारतीय टीम में एक नया जोश भर दिया। उनके शतक ने टीम के स्कोरबोर्ड को तो गति दी ही, साथ ही मैदान पर मौजूद खिलाड़ियों और डगआउट में बैठे साथियों का आत्मविश्वास भी बढ़ाया। एक कप्तान के रूप में, उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और दिखाया कि क्यों वह भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक हैं। उनकी यह पारी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए लंबे समय तक याद रखी जाएगी और यह टीम को सीरीज जीतने में भी मदद करेगी।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली उप प्रबंध निदेशक (FDMD) और भारतीय मूल की प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) अगस्त 2025 के अंत में अपना पद छोड़ देंगी। वह अकादमिक क्षेत्र में वापस लौट रही हैं और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में फिर से शामिल होंगी। IMF ने 21 जुलाई, 2025 को इस खबर की पुष्टि की।