J&K Encounter-किश्तवाड़ मुठभेड़: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से भीषण जंग, भारतीय सेना का ‘ऑल आउट’ ऑपरेशन जारी

J&K Encounter-20th July
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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकियों से भीषण मुठभेड़: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी छिपे होने की आशंका, सुरक्षाबलों का ‘ऑल आउट’ ऑपरेशन जारी

किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में एक बार फिर आतंकियों और भारतीय सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ छिड़ गई है। आज, 20 जुलाई 2025 को किश्तवाड़ के दच्छन (Dachan) इलाके में आतंकियों के छिपे होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने एक व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया, जिसके बाद घात लगाकर बैठे आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। माना जा रहा है कि इस इलाके में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed – JeM) के 2 से 3 आतंकी छिपे हुए हैं। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को उच्चतम अलर्ट पर रखा गया है, विशेषकर वार्षिक अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर।


किश्तवाड़ मुठभेड़: रणनीतिक महत्व और आतंकी इतिहास

किश्तवाड़, जम्मू संभाग के चिनाब घाटी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण जिला है। अपनी दुर्गम भौगोलिक स्थिति, घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों के कारण यह आतंकियों के लिए घुसपैठ और छिपने का एक पसंदीदा ठिकाना रहा है। 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में यह क्षेत्र सक्रिय आतंकवाद का गढ़ था, लेकिन सुरक्षाबलों के अथक प्रयासों से पिछले एक दशक में यहां शांति बहाल हुई थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से, खासकर अनुच्छेद 370 हटने के बाद से, आतंकी संगठन, विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा (LeT), इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं। वे स्थानीय युवाओं को बरगलाने और विदेशी आतंकियों को पनाह देने के लिए इन पहाड़ी इलाकों का इस्तेमाल करते हैं।

इस क्षेत्र में सक्रियता का एक बड़ा कारण यह भी है कि आतंकी अब कश्मीर घाटी के बड़े शहरों से हटकर दूरदराज के इलाकों में अपनी जड़ें जमाना चाहते हैं, जहां सुरक्षाबलों की आवाजाही थोड़ी कम होती है और भौगोलिक परिस्थितियाँ उनके लिए अनुकूल होती हैं। किश्तवाड़ की सीमाएँ कश्मीर घाटी के कुछ संवेदनशील जिलों से भी मिलती हैं, जिससे यह आतंकियों के लिए एक रणनीतिक गलियारा बन जाता है।


ऑपरेशन का विवरण: चुनौती भरा अभियान

आज सुबह जैसे ही सुरक्षाबलों को दच्छन इलाके में आतंकियों के छिपे होने की पुख्ता सूचना मिली, जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष अभियान समूह (SOG), भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों की एक संयुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई की। क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए, सुरक्षाबलों ने तुरंत एक व्यापक घेराबंदी और तलाशी अभियान (Cordon and Search Operation – CASO) शुरू किया।

जैसे ही सुरक्षाबलों की टीमें संदिग्ध ठिकाने के करीब पहुंचीं, आतंकियों ने अचानक भारी गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ शुरू हो गई। यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि किश्तवाड़ का यह इलाका घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी भूभाग से घिरा हुआ है, जो आतंकियों को छिपने और फायदा उठाने का अवसर प्रदान करता है। सुरक्षाबल बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं ताकि नागरिकों को कोई नुकसान न हो और आतंकी बचकर निकल न पाएं। ऑपरेशन में ड्रोन और आधुनिक निगरानी उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि आतंकियों के हर कदम पर नजर रखी जा सके। अतिरिक्त सुरक्षाबलों को भी मौके पर भेजा गया है ताकि आतंकियों के भागने के सभी रास्तों को बंद किया जा सके।

J&K Encounter-किश्तवाड़

 


जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका और उसकी रणनीति

इस मुठभेड़ में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के शामिल होने की आशंका है। जैश-ए-मोहम्मद जम्मू-कश्मीर में आत्मघाती हमलों (फिदायीन), सुरक्षाबलों को निशाना बनाने और स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए जाना जाता है। हाल के दिनों में, जैश जैसे संगठनों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। वे अब हाइब्रिड आतंकियों (जो आम नागरिकों की तरह रहते हैं लेकिन आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं) का इस्तेमाल कर रहे हैं और सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार व ड्रग्स भेजने की कोशिश कर रहे हैं।

सुरक्षा एजेंसियां इस बात की भी गहन जांच कर रही हैं कि क्या यह आतंकी समूह हाल ही में चिनाब घाटी या जम्मू क्षेत्र में हुई किसी अन्य आतंकी घटना से जुड़ा है। आतंकी संगठन अक्सर बड़े आयोजनों या त्योहारों के दौरान अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं ताकि अधिक से अधिक डर फैला सकें।


जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य और अमरनाथ यात्रा का संदर्भ

यह मुठभेड़ ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुई है जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल उच्चतम अलर्ट पर हैं। वार्षिक अमरनाथ यात्रा चल रही है, जिसमें देशभर से हजारों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आते हैं। आतंकियों द्वारा इस यात्रा को निशाना बनाने की कोशिशों का इतिहास रहा है, जिसके कारण सुरक्षाबलों ने यात्रा मार्गों और आसपास के क्षेत्रों में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की है। यह मुठभेड़ इस बात का प्रमाण है कि आतंकी तत्व घाटी में शांति भंग करने और अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन दूरदराज के इलाकों में आतंकियों की मौजूदगी अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। भारतीय सेना, पुलिस और केंद्रीय बल एक बहुस्तरीय सुरक्षा ग्रिड के तहत काम कर रहे हैं ताकि घुसपैठ को रोका जा सके और मौजूद आतंकियों का सफाया किया जा सके। स्थानीय आबादी से खुफिया जानकारी जुटाना भी इन ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


किश्तवाड़ में जारी यह मुठभेड़ भारतीय सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने और जम्मू-कश्मीर में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे ऑपरेशन बेहद महत्वपूर्ण हैं। सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहे हैं और जल्द ही इन आतंकियों को ढेर करने की उम्मीद है। यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि भले ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई हो, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है, और निरंतर सतर्कता तथा कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।

 

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